In an effort to break out of daily routine and get some satisfaction....and find out myself :)
मुद्दत हो गयी तेरा चेहरा देखे
अब तो चाँद भी फीका लगने लगा है
चाँद से मिला था कल रात
बेचारा बहुत उदास था
तेरे शहर में उसे कोई पूछता ही नहीं
सुबह-सुबह इक लम्हे ने दस्तक दी थी
तुघे साथ लाया था
हम बैठे, बातें की, तुम्हारे किस्से सुनाये
मैंने उसे रुकने को कहा, पर उसे जाना था कहीं
लेकिन वापिस मिलने का वादा किया उसने
में लम्हा लम्हा जी रहा हूँ उस लम्हे के इंतज़ार में
में और तू ऐसे हैं जैसे रेल की दो पटरियां
कहने को बहुत पास पास, पर आगे देखो तो क्षितिज तक नहीं मिलते
पर मेरा दिल कहता है, की इन पटरियों का कोई तो छोर होगा
वहां तुम उतरोगी, में उतरूंगा, और रब ने चाह तो कुछ रास्ता साथ साथ तय करेंगे
कुछ पल कुछ लम्हे सदियों से लम्बे होते हैं
तेरे साथ बीताये उन लम्हों की पोटली बना ली है मैंने
एक एक लम्हे को हज़ार बार जीता है ये दिल दीवाना
will continue to write more and hopefully better :)
Awesome...dude....too goood...keep going...
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